इंटरनेशनल : पृथ्वी पर एक उल्कापिंड के टकराने की जानकारी पहली बार कहां से सामने आई? इसका खतरा कितना गंभीर है? अगर यह उल्कापिंड धरती से टकराता है तो किस-किस क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है? इसका प्रभाव कितना बड़ा होगा? अलग-अलग देश इस परेशानी से निपटने के लिए क्या तैयारी कर रहे हैं? आइये जानते हैं.

करीब 7 साल बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी पर एक जबरदस्त खतरे के आने के आसार हैं। दुनियाभर की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसियां फिलहाल इस खतरे से निपटने के लिए योजना तैयार करने में जुटी हैं।

फिर चाहे वह अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी- नासा हो या चीन, जो कि इस खतरे से निपटने के लिए सुरक्षाबल की अलग टुकड़ी तक बनाने की तैयारी कर रहा है। यह खतरा है एक उल्कापिंड का, जो कि 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है। अभी तक इस उल्कापिंड के धरती पर गिरने का खतरा कम है, हालांकि अगर यह सच हुआ तो नुकसान बड़ा हो सकता है।

ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर पृथ्वी पर एक उल्कापिंड के टकराने की जानकारी पहली बार कहां से सामने आई? इसका खतरा कितना गंभीर है? अगर यह उल्कापिंड धरती से टकराता है तो किस-किस क्षेत्र में भारी तबाही मचा सकता है? इसका प्रभाव कितना बड़ा होगा? अलग-अलग देश इस परेशानी से निपटने के लिए क्या तैयारी कर रहे हैं? आइये जानते हैं

पहले जानें- क्या है YR4 उल्कापिंड?
YR4 उल्कापिंड का पूरा नाम 2024 YR4 रखा गया है। इस उल्कापिंड को अपोलो-टाइप यानी पृथ्वी को पार करने वाली वस्तु के तौर पर चिह्नित किया गया। वाईआर4 की पहली बार खोज चिली के रियो हुर्तादो में स्थित एक उल्कापिंड की निगरानी रखने वाले स्टेशन 27 दिसंबर 2024 को की।

बताया जाता है कि जब एस्टरॉयड टेरेस्ट्रियल इंपैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (एटलस) ने इस उल्कापिंड के खतरे को लेकर चेतावनी जारी की तब दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियों में हड़कंप मच गया। इसके बाद से ही अंतरिक्ष एजेंसियों ने वाईआर4 को अंतरिक्ष से गिरने वाली वस्तुओं के जोखिम की लिस्ट में नंबर-1 पर रख दिया। 

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