पिछले 7-10 दिनों के भीतर भारत में कोरोना के मामलों में करीब पांच गुना की वृद्धि हुई है। देश में अब तक संक्रमण से सात लोगों की मौत भी हो गई है, इसके अलावा कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत पड़ रही है। क्या इस बार का कोरोना फिर से गंभीर रोग वाला है? 

कोरोनावायरस के दुनियाभर में बढ़ते हालिया मामले विशेषज्ञों की चिंता बढ़ाने लगे हैं। भारत में भी पिछले एक-दो हफ्तों में संक्रमण बढ़ने की जो रफ्तार रही है, उसने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम संक्रमण की एक और लहर की तरफ बढ़ रहे हैं, एक खतरनाक लहर की तरफ?

पिछले एक हफ्ते (19 से 26 मई) के भीतर भारत में कोरोना के मामलों में करीब पांच गुना की वृद्धि हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड डैशबोर्ड के मुताबिक 22 मई को देशभर में एक्टिव केस 257 थे जो 26 मई के अपडेट में बढ़कर 1007 हो गए हैं।  देश में अब तक संक्रमण से सात लोगों की मौत भी हो गई है, इसके अलावा कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत पड़ रही है।

तो क्या इस बार का कोरोना फिर से गंभीर रोग वाला है? क्या फिर से  डेल्टा वैरिएंट जैसा प्रकोप हो सकता है? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।

दिल्ली-मुंबई से लेकर केरल तक बढ़ता खतरा

हांगकांग-सिंगापुर से शुरू हुआ इस बार का प्रकोप अब भारत में भी रफ्तार पकड़ने लगा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजधानी दिल्ली में कोरोना के एक्टिव मामले देखते ही देखते 100 का आंकड़ा पार कर गए हैं। एक हफ्ते के भीतर ही यहां 99 मामले सामने आए हैं जिसके कारण अब यहां एक्टिव मामले बढ़कर 104 हो गए हैं।

केरल सबसे प्रभावित राज्य है जहां पर कुल सक्रिय मामले 430 है, हफ्ते भर में यहां 335 नए संक्रमित देखे गए हैं। महाराष्ट्र में एक्टिव मामले 209, गुजरात में 83, तमिलनाडु में 69, कर्नाटक 47 मरीज हो गए हैं।

मौत के भी बढ़ रहे हैं मामले

विशेषज्ञ कहते हैं, भारत में जिन वैरिएंट्स (NB.1.8.1 और LF.7) के कारण मामले बढ़ रहे हैं, वह वैसे तो गंभीर रोग कारक नहीं हैं पर देश में कोरोना से मौत के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। 19 से लेकर 26 मई के बीच ही देश में सात लोगों की मौत हो गई है। महाराष्ट्र में चार, केरल में दो और कर्नाटक में कोरोना से एक मौत का मामला सामने आया है।

कितना खतरनाक है भारत में फैल रहा कोरोना का वैरिएंट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक NB.1.8.1 जो रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट XDV.1.5.1 से निकला है, जिसका सबसे पहला सैंपल 22 जनवरी 2025 को एकत्र किया गया था। 

इस वैरिएंट में कुछ अतिरिक्त म्यूटेश देखे गए हैं जो इसकी संक्रामकता दर को बढ़ा देता है और इसे शरीर में बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को आसानी से चकमा देकर संक्रमित करने के लिए आसान बनाता है। LF.7 की प्रकृति भी अत्यंत संक्रामक है। ये दोनों ओमिक्रॉन के ही सब-वैरिएंट्स हैं, ओमिक्रॉन ज्यादा संक्रामकता वाला तो रहा है पर इसके कारण गंभीर रोग कम देखे जाते रहे हैं।

फिर लोगों की मौत क्यों हो रही है?

देश में फैल रहा वैरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं माना जा रहा है फिर इस बार अस्पताल में भर्ती होने और मौत के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इस बारे में समझने के लिए हमने मुंबई स्थित एक अस्पताल में इंटेंसिव केयर यूनिट और कोरोना के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर निरंजन अस्थाना से बातचीत की।

डॉक्टर बताते हैं, ये वैरिएंट खतरनाक नहीं है, ओमिक्रॉन के कारण देश में पहले भी संक्रमण के केस सामने आए थे, लोग आसानी से ठीक भी हुए थे। ओमिक्रॉन और इसके तमाम सब-वैरिएंट्स में देखे गए म्यूटेशन इसको संक्रामक बनाते हैं, उन लोगों को भी खतरा हो रहा सकता है जिनका टीकाकरण हो चुका है, पर इसे गंभीर रोगकारक नहीं माना जाता है।

देश में एक हफ्ते में 7 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं इसमें में अधिकतर वे लोग हैं जिन्हें कोमोरबिडिटी रही है यानी वो पहले से एक से अधिक क्रॉनिक बीमारियों (डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग) का शिकार रहे हैं। ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके चलते संक्रमण के गंभीर रूप लेने का खतरा हो सकता है। हालांकि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। हफ्ते भर में कोरोना के 752 नए मामले सामने आए हैं, जिसमें से 305 रिकवर हो चुके हैं। ज्यादातर लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं। 

फिलहाल एहतियातन सभी लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करते रहना जरूरी है, वो लोग खास ध्यान रखें जिन्हें कोमोरबिडीटी की समस्या है, 65 साल से अधिक हैं या फिर रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। 

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स्रोत और संदर्भ
Covid-19 facilities in States & Union Territories

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