दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर, भारत में युवा महिलाओं में चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। शोध के अनुसार, भारत में हर साल 1.27 लाख से ज्यादा सर्वाइकल कैंसर के नए मामले सामने आते हैं।

कैंसर एक गंभीर समस्या है जिसका जोखिम सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। महिला हों या पुरुष, बच्चे हों या बुजुर्ग, कैंसर का खतरा किसी को भी हो सकता है।  हालिया आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारतीय महिलाओं में कुछ प्रकार के कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।

ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर तो एक गंभीर चिंता का विषय है ही, साथ ही पिछले कुछ वर्षों में सर्वाइकल कैंसर ‘साइलेंटली’ बड़ी संख्या में महिलाओं को अपना शिकार बनाता जा रहा है। 

दुनियाभर में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर, भारत में युवा महिलाओं में चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। शोध के अनुसार, भारत में हर साल 1.27 लाख से ज्यादा सर्वाइकल कैंसर के नए मामले सामने आते हैं। युवा आयु समूहों में इस वृद्धि का मुख्य कारण ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) का प्रसार माना जा रहा है।

ये समय से पहले यौन संबंध, जांच की कमी और समय पर रोग का निदान न हो पाने के साथ टीकाकरण कवरेज की कमी जैसे कारणों के चलते बढ़ता जा रहा है। गड़बड़ लाइफस्टाइल इन जोखिमों को और भी बढ़ा देती है, जिसको लेकर सभी महिलाओं को अलर्ट रहने की आवश्यकता है।

सर्वाइकल कैंसर और इसका खतरा

मेडिकल रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो पता चलता है कि सर्वाइकल कैंसर भारत सहित कई विकासशील देशों में महिलाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है। हालिया शोधों से पता चला है कि यह रोग अब युवा महिलाओं में तेजी से और चुपचाप (साइलेंटली) फैल रहा है। इसकी शुरुआती पहचान कठिन होती है, जिससे इलाज में देरी और जटिलताएं बढ़ जाती हैं।

सर्वाइकल कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा यानी गर्भाशय के निचले हिस्से में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होता है। ज्यादातर मामलों में इसके लिए मुख्य रूप से एचपीवी संक्रमण को कारण माना जाता रहा है। 

20 की उम्र में भी महिलाएं हो रही है शिकार

ग्लोबोकॉन के साल 2020 के डेटा के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 77,000 लोगों की इस कैंसर से मौत हो जाती है। 30-45 वर्ष की महिलाओं में इसका खतरा सबसे अधिक है, लेकिन हाल के वर्षों में 20 से 30 वर्ष की उम्र की युवतियों में भी तेजी से निदान के मामले बढ़े हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है, यदि समय पर टीकाकरण, स्क्रीनिंग और इलाज हो जाए तो सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है। संक्रमण के कारणों का पता लगाकर, इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है।

किन लोगों में इसका खतरा अधिक होता है?

डॉक्टर बताते हैं, कुछ स्थितियां हैं जो आपमें सर्वाइकल कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती हैं, जिनसे सभी महिलाओं को निरंतर बचाव करते रहना चाहिए।

सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर मामले वायरल संक्रमण के कारण होते हैं। इसके अलावा कम उम्र में ही यौन सक्रियता या एक से अधिक यौन साथी होना भी आपमें इस कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाला हो सकता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है या लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं तो इसके कारण भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा हो सकता है।

शुरुआती लक्षणों को कैसे पहचानें?

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण बहुत स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ संकेतों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।

  • अनियमित माहवारी या दो पीरियड्स के बीच रक्तस्राव
  • यौन संबंधों के बाद रक्तस्राव होना। 
  • पेल्विक हिस्से में  दर्द या असामान्य डिस्चार्ज होना।

ये लक्षण कई अन्य कारणों से भी हो सकते हैं, लेकिन यदि ये लगातार बने रहें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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