हिसार। मौसम में बदलाव होने का सीधा असर नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। आलम यह है कि नागरिक अस्पताल के बाल रोग की ओपीडी में रोजाना 180 से अधिक मामले उल्टी-दस्त व वायरल के आ रहे हैं। इनमें नवजात-शिशुओं की उम्र 0 से 5 साल व इससे अधिक है।
चिकित्सकों ने बताया कि स्क्रीनिंग के दौरान 40 फीसदी नवजात उल्टी, दस्त से ग्रस्त मिले हैं। इसमें अभिभावकों की लापरवाही भी देखने को मिल रही है। क्योंकि वे अपने बच्चों का संतुलित आहार उपलब्ध नहीं करवा हैं और न ही मां का दूध सही समय पर पिला रहे हैं।
इसके अलावा घर से बाहर ले जाते समय भी अभिभावक अपने बच्चों के शरीर को ढककर नहीं रख रहे हैं, जिससे विषाणु तेजी से बच्चों को चपेट में रहे हैं। जांच के दौरान बच्चों की त्वचा पर छोटे-छोटे लाल चकते भी मिल रहे हैं साथ ही पानी से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन की भी संभावना है।
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ओपीडी के दौरान ये मिल रहीं बीमारियां
– हीट रैशेज (घमौरियां) : गर्म मौसम में पसीने से त्वचा पर छोटे-छोटे लाल चकत्ते हो जाते हैं।
– हीटस्ट्रोक: यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है।
– गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन: दूषित भोजन या पानी से बच्चों में उल्टी, दस्त और पेट दर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं।
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इन बातों का रखें ध्यान
– नवजात शिशुओं को नियमित रूप से पानी पिलाएं।
– बच्चों को सीधी धूप से दूर रखें और उन्हें हल्के कपड़े पहनाएं।
– बच्चे को ठंडा रखने के लिए ठंडे पानी से नहलाएं या ठंडी पट्टी लगाएं।
– बच्चों के हाथ बार-बार धोते रहें।
– कोई भी समस्या होने पर तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
– समय पर नवजात-शिशुओं को मां का दूध पिलाएं।
– ओआरएस का घोल भी पिलाते रहे।
नवजात शिशुओं की मालिश भी करें।
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बदलते मौसम में अभिभावकों को सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि नवजात शिशु उल्टी-दस्त व वायरल की चपेट में आ रहे हैं। जिनमें 0 से 5 साल से कम उम्र के बच्चे रोगग्रस्त मिल रहे हैं। खानपान का ध्यान रखें और समय पर मां का दूध पिलाते रहें। – डॉ. भूमिका, बाल रोग विशेषज्ञ, नागरिक अस्पताल, हिसार।