अब ट्रैफिक नियम तोड़ने पर चालान सिर्फ फोटो से नहीं, बल्कि वीडियो सबूत से होगा। केंद्र सरकार ने एक नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) (एसओपी) जारी किया है, जिसके तहत ट्रैफिक नियमों की निगरानी ऑटोमैटिक कैमरों से की जाएगी।
अब ट्रैफिक नियम तोड़ने पर चालान सिर्फ फोटो से नहीं, बल्कि वीडियो सबूत से होगा। केंद्र सरकार ने एक नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) (एसओपी) जारी किया है, जिसके तहत ट्रैफिक नियमों की निगरानी ऑटोमैटिक कैमरों से की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह एसओपी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया है, जिसका मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना और ट्रैफिक सिस्टम को ज्यादा सख्त और पारदर्शी बनाना है।
एसओपी में वीडियो साक्ष्य रिकॉर्ड करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, यहां तक कि 200 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार पर भी। ताकि ध्यान भटकने और गलत दिशा में वाहन चलाने के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और मौतों को कम किया जा सके। यह पहल सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के जवाब में की गई है जिसमें 23 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के कार्यान्वयन पर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।
कौन-कौन से नियमों पर होगी नजर?
एसओपी के अनुसार, ऑटोमेटेड कैमरा प्रवर्तन प्रणाली ट्रैफिक उल्लंघनों की निगरानी के लिए प्राथमिक तरीका होगा। यह प्रणाली ड्राइवरों और प्रवर्तन एजेंसियों दोनों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन की गई है। इस नई व्यवस्था के तहत हेलमेट या सीट बेल्ट न पहनना, मोबाइल फोन पर बात करना, रॉन्ग साइड गाड़ी चलाना, और ड्राइव करते हुए खाना या पीना जैसी हरकतों को अब कैमरे में रिकॉर्ड किया जाएगा।
यह कैमरे इतनी हाई-टेक होंगे कि 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक भी साफ-साफ वीडियो रिकॉर्ड कर सकेंगे। यानी कोई भी वाहन तेज रफ्तार से निकल जाए, तब भी नियम तोड़ने की तस्वीर और वीडियो दोनों कैमरे में आ जाएंगे।