धनबाद : २२ मई, बुधवार की संध्या 5 बजे जगजीवन नगर में स्थित इस्कॉन मेडिटेशन सेंटर में आरंभ हुआ नरसिंह चतुर्दशी महा महोत्सव। भगवान कृष्ण के इस अदभुत अवतार की कथा श्रवण करने तथा उनके आविर्भाव का उल्लास मनाने हेतु एकत्रित हुए सैकड़ों धनबाद वासी।
कीर्तन, नरसिंह कवच तथा नरसिंह मंत्र की गर्जना अत्यंत ही उत्साहमय और मधुर कीर्तन द्वारा उत्सव का आरंभ हुआ। भक्त शिरोमणि प्रह्लाद तथा भक्तवत्सल श्री नरसिमहदेव भगवान की ऐतिहासिक दिव्य लीलाओं को विख्यात भजनों द्वारा गाया गया।आए हुए श्रद्धालुओं ने समस्त जीवों के कल्याण हेतु नरसिंह कवच स्तोत्र का सस्वर पाठ किया।
सारे भक्तों ने मिलकर श्री नरसिंह मंत्र की 108 बार गर्जना की तथा श्री नरसिंह भगवान के अवतरण हेतु उपयुक्त वातावरण तैयार किया।इस्कॉन धनबाद के अध्यक्ष श्रद्धेय श्री नाम प्रेम प्रभुजी द्वारा श्री प्रह्लाद नरसिंह की कथाऐसी घनघोर गर्जन पश्चात मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था की संपूर्ण सभा नरसिंह देव के दिव्य प्राकट्य को श्रवण करने की प्रतीक्षा कर रही है।
इस्कॉन धनबाद के अध्यक्ष श्रद्धेय श्री नामप्रेम प्रभुजी ने प्रह्लाद महाराज की अनन्य भक्ति को प्रकाशित करते हुए सारे श्रद्धालुओं को नरसिंह कथा से तृप्त किया।प्रभुजी ने बताया की ऐसा कोई कारण नहीं जिसके वश स्वयं भगवान को पृथ्वी पर अवतीर्ण होना पड़े।
भगवान अपनी अनंत शक्तियों द्वारा संसार की रचना, पालन-पोषण तथा संघार अपने लोक में स्थित रहकर करते रहते हैं। किंतु जिस प्रकार जब पुत्र पर संकट आता है या पुत्र की परेशानी देखकर एक पिता किसी व्यवस्था या शक्ति पर विश्वाश न करते हुए स्वयं कार्यवही करते हैं, उसी प्रकार भगवान कृष्ण भी अपने निजी भक्तों पर संकट आता देख एक क्षण व्यर्थ किए बिना स्वयं अवतार लेते हैं।
महाआरती एवं प्रसाद
कथा के उपरांत श्री भगवान की महाआरती हुई। श्री नरसिंह देव को आए हुए भक्तों द्वारा अनेक व्यंजनों सहित 56 भोग चढ़ाया गया।सारे भक्तों ने मिलकर फिर एक बार उत्साहमाय कीर्तन व नृत्य किया।
बतादें इनमें से बहुत भक्तों ने नरसिंह चतुर्दशी का निर्जल उपवास किया था।सूर्यस्थ उपरांत सारे भक्तों के लिए प्रचुर मात्रा में महाप्रसाद की व्यवस्था थी। उपवास करने वाले भक्तों के लिए अनुकल्प प्रसाद की भी व्यवस्था की गई।