टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों, कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए/ बेखुद देलहवी का ये शेर इंसानों के लिए भले लिखा गया हो, लेकिन फिलहाल ये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के मौजूदा मॉडल पर सटीक बैठ रहा है।

अधिकांश एआई मॉडल हर जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे उनके पास सभी सवालों के जवाब हो। इसी फेर में वे अधिकांश उत्तर गलत दे रहे हैं।

लगातार विकसित होते लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) के साथ एआई मॉडल एडवांस होते जा रहे हैं। लेकिन, इनकी विश्वसनीयता पर अब भी सवालिया निशान हैं।

हाल के दिनों में हुए कुछ रिसर्च से पता चलता हैं कि एआई मॉडल लगातार विकसित हो रहे हैं लेकिन उनके जवाब संतोषजनक नहीं हैं। अक्सर इनके जवाब लोगों को भ्रम में डालते हैं।

आज एआई मॉडल हर सवाल के जवाब देने के लिए तैयार हैं, जिससे वे यूजर्स को गलत जानकारी देकर गुमराह तक कर रहे हैं। स्पेन स्थित वैलेंसियन रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एआई ने अपनी रिसर्च में कुछ ऐसा ही दावा किया है।

इस रिसर्च के मुताबिक, OpenAI के ChatGPT, और मेटा के L-LAMA जैसे मॉडल्स के पास सवालों से सही जवाब तो थे, लेकिन गलतियां भी काफी बढ़ रही थी। इसके साथ ही जटिल सवालों के जवाब में इनके जवाब विश्वसनीय नहीं थे।

रिसर्चर्स का मानना है कि ये AI मॉडल्स अधिकांश सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं, चाहे वे सही हों या नहीं। यह गंभीर चुनौती है क्योंकि यूजर्स का इन पर दिन-ब-दिन भरोसा बढ़ता जा रहा है।