कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कोरोना की जांच का एक नया और किफायती तरीका ढूंढ लिया है। कोविड-19 रोग का कारण बनने वाले सार्स-सीओवी-2 का पता लगाने के लिए मिट्टी के कणों के इस्तेमाल किया है।
देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रायल द्वारा साझा की गई जानकारियों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 391 नए रोगी सामने आए हैं, जिसके साथ अब देश में कोरोना के कुल एक्टिव मामले बढ़कर 5755 हो गए हैं। गुरुवार को कुल एक्टिव केस 4866 और शुक्रवार 5364 थे। बीते 24 घंटे में 4 लोगों की मौत भी हुई है। केरल में सबसे ज्यादा 1806 एक्टिव केस हैं, इसके बाद गुजरात में 717, दिल्ली में 665 और पश्चिम बंगाल में 622 मरीज संक्रमित हैं। कोरोना के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी निश्चित ही चिंता बढ़ा रही है जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को सावधान करते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, टेस्टिंग बढ़ने के साथ कोरोना के मामलों में भी बढ़ोतरी हो रही है। मामले हल्के लक्षणों वाले हैं, इसलिए ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं है हालांकि सभी लोगों को निरंतर बचाव के उपाय जरूर करते रहना चाहिए।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने कोरोना की जांच का एक नया और किफायती तरीका ढूंढ लिया है। कोविड-19 रोग का कारण बनने वाले सार्स-सीओवी-2 का पता लगाने के लिए मिट्टी के कणों के इस्तेमाल किया है।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि मिट्टी के कण सार्स-सीओवी-2 की उपस्थिति में अलग तरह से प्रतिक्रिया करते हैं। ये खोज एक सरल, किफायती परीक्षण विकल्प विकसित करने के लिए किया गया है।
आईआईटी गुवाहाटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख लेखक टी.वी. भरत ने कहा, ‘‘कोविड के जांच के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली पीसीआर जैसी मौजूदा विधियां अत्यधिक संवेदनशील हैं, लेकिन समय लेती हैं और इसके लिए उपकरणों की आवश्यकता होती है। इसी तरह, एंटीजेन परीक्षण तेज तो होता है, लेकिन इसमें सटीकता की कमी है, जबकि एंटीबॉडी परीक्षण का उपयोग संक्रमण होने के बाद किया जाता है।
शोधकर्ताओं ने इस परीक्षण के लिए ‘बेंटोनाइट मिट्टी’ का उपयोग किया क्योंकि इसकी अनूठी रासायनिक संरचना प्रदूषकों और भारी धातुओं को आसानी से अवशोषित करने में मददगार होती हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे पहले के अध्ययनों से पता चला है कि मिट्टी के कण वायरस और बैक्टीरियोफेज से स्थिर हो सकते हैं, जिससे यह वायरस का पता लगाने के लिए एक आशाजनक सामग्री बन जाती है। हम इस खोज को लेकर काफी आशाजनक हैं।