भारत जैसे विकासशील देश में हैजा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। शोधकर्ताओं ने अब हैजा संक्रमण से बचने के लिए एक टीका विकसित किया है जिसके सभी परीक्षण पूरी तरह सफल रहे हैं। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इस वैक्सीन की मदद से घातक संक्रामक रोगों की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

भारत में कालरा (हैजा) एक स्वास्थ्य समस्या रही है। विशेषकर बच्चों में इसका खतरा सबसे ज्यादा देखा जाता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार साल 2024 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के पांच देशों में हैजा के कुल 19348 हैजा के मामले सामने आए, इसमें से 11140 मामले अकेले भारत से थे। इसी अवधि के दौरान भारत में कुल 58 मौतें हुईं। 

भारत जैसे विकासशील देश में हैजा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। यह रोग वाइब्रियो कालरा नामक जीवाणु के कारण होता है, जो दूषित पानी या खाद्य पदार्थ के सेवन से शरीर में प्रवेश करते हैं। बच्चों में यह रोग तेजी से फैलता है और समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। 

भारतीय शोधकर्ताओं ने अब हैजा संक्रमण से बचने के लिए एक टीका विकसित किया है जिसके सभी परीक्षण पूरी तरह सफल रहे हैं। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि इस वैक्सीन की मदद से घातक संक्रामक रोगों की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

भारत में हैजा रोग का खतरा

हैजा एक तीव्र डायरिया रोग है जो शरीर में अत्यधिक पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी (डिहाइड्रेशन) का कारण बनता है। जिन स्थानों पर स्वच्छता की कमी होती है वहां पर इस रोग के फैलने का खतरा अधिक हो सकता है। भारत में हैजा से प्रभावित बच्चों की संख्या सटीक रूप से बताना कठिन है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कई मामलों की रिपोर्ट नहीं होती। 

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट (2023) के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख से अधिक हैजा के मामले सामने आते हैं, जिनमें से लगभग 30% पीड़ित बच्चे होते हैं। भारत के पूर्वी राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में हैजा के मामलों की दर अधिक पाई गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है, और इसमें हैजा की भूमिका महत्वपूर्ण है।

भारत बायोटेक का कालरा वैक्सीन

इस खतरनाक रोग की रोकथाम के लिए हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी ने कारगर टीका बना लिया है। कंपनी ने इस टीका को हिलचोल नाम दिया है। इसके तीनों ट्रायल्स के परिणाम काफी बेहतर रहे हैं। अब विशेषज्ञों को उम्मीद है कि जल्द ही ये बाजार में उपलब्ध हो सकती है।

प्रभावी एंटीबॉडी पैदा करने में सक्षम है वैक्सीन

वैक्सीन को लेकर कंपनी का दावा है कि परीक्षण के परिणाम में यह टीका एक वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों में पूरी तरह सुरक्षित और असरदार पाया गया है। यह हैजा बैक्टीरिया के दो प्रमुख स्ट्रेन ओगावा और इनाबा के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करने में सक्षम हैं।

भारत बायोटेक ने जारी बयान में कहा है कि हिलचोल एक सिंगल-स्ट्रेन टीका है। यह विब्रियो कोलेरा जीवाणु के दो स्ट्रेन को निष्क्रिय करके बनाया है। इसमें खास किस्म की तकनीक का इस्तेमाल किया है जो अन्य टीकों में नहीं किया जाता है। इससे यह हैजा के दो अलग-अलग स्ट्रेन के खिलाफ एक जैसी सुरक्षा देने में मदद करता है। टीका की 14 दिन के भीतर दो खुराक लगवानी चाहिए ।

वैक्सीनेशन के साथ बचाव के अन्य उपाय भी जरूरी

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हैजा से बचाव के लिए वैक्सीनेशन के साथ दैनिक रूप से कुछ सावधानियां बरतते रहना भी आवश्यक है। 

  • गंदे और दूषित पेयजल से इसका खतरा अधिक रहता है।कई ग्रामीण और शहरी झुग्गी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नहीं होती, जिससे हैजा के बैक्टीरिया फैलते हैं।
  • खुले में शौच, बिना हाथ धोए खाना खाना और घर के आसपास की गंदगी के कारण भी संक्रमण फैल सकता है।
  • माता-पिता और बच्चों में स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को लेकर पर्याप्त जानकारी की कमी संक्रमण का एक कारण हो सकती है। 
  • सड़क किनारे बिकने वाले खुले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। 
  • बाढ़ या मानसून के समय जलभराव (दूषित जल) के कारण आप इसका शिकार हो सकते हैं। मानसून के दिनों में विशेष सावधानी बरतें। 

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नोट: 
यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

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