कतरास : कतरास में दो दिनों से झमाडा की जलापूर्ति नहीं होने से लोग परेशान हैं।

उल्लेखनीय है कि धनबाद का हृदय स्थल कहे जाने वाले शहर कतरास की शहरी आबादी तोपचांची झील के पानी पर ही आश्रित है।

तोपचांची झील में गाद की सफाई नहीं होने से बरसात का पानी सही ढंग से जमा नहीं हो पाता है नतीजतन प्रत्येक वर्ष कतरास को जलसंकट का सामना करना पड़ता है।

विडम्बना तो इस बात की है चारों ओर से यह शहर बीसीसीएल की विभिन्न कोलियरियों से घिरा है और बीसीसीएल के खदानों का पानी नालियों में बहा दिया जाता है परन्तु उसे आमलोगों को मुहैया नहीं कराया जाता है जबकि कानूनन किसी भी कंपनी को अपने आस-पास के इलाकों में जनसुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य है।

कितने अधिकारी आये और गये, कितने विधायक व सांसद आये और गये। सूबे में भी कितने मुख्यमंत्री बदल गये परन्तु किसी का भी इस ओर ध्यान नहीं गया नतीजतन लोग आजादी के 56 साल बाद भी आज अंग्रेजों के बनायें गये तकनीक पर तोपचांची झील से कंड्यूड पाइपलाइन के सहारे बिना मोटर, बिना बिजली के जलापूर्ति का लाभ ले रहें परन्तु सिस्टम में सुधार नहीं होने से लोग पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।पर सवाल उठता है कि आखिर फ्रिक किसे है।