दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मालदीव और श्रीलंका मलेरिया मुक्त हो गए हैं। इसके अलावा नौ एंडेमिक देशों में से चार- भूटान, भारत, नेपाल और तिमोर-लेस्ते ने 2015 से मलेरिया की घटनाओं में 63% से अधिक की कमी हासिल की है।

मच्छर जनित बीमारियों का बोझ वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। हर साल मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों जैसे डेंगू-मलेरिया, चिकनगुनिया के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है।

साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर अकेले मलेरिया के कारण 5.97 लाख लोगों की मौत हुई। इन मौतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा (लगभग 95%) डब्ल्यूएचओ अफ्रीकी क्षेत्रों में रिपोर्ट किया गया।

भारतीय आबादी में भी मलेरिया एक बड़ा खतरा रहा है, जिसके कारण हर साल अस्पतालों में लोगों को भारी भीड़ देखी जाती रही है। मलेरिया के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी को नियंत्रित करने के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में मलेरिया के हर साल 15 मिलियन (1.5 करोड़) मामले सामने आते हैं, जिनमें से करीब 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपने बहुस्तरीय प्रयासों की मदद से न सिर्फ मलेरिया के मामलों में कमी लाई है साथ ही यहां मृत्युभर भी कम हुआ है। 

मलेरिया को लेकर क्या कहा है डब्ल्यूएचओ?

मलेरिया रोकथाम को लेकर भारत द्वारा किए गए प्रयासों की डब्ल्यूएचओ ने सराहना की है।

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा, मलेरिया की रोकथाम को लेकर हमें व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। हमारे क्षेत्र ने मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में उत्कृष्ट प्रगति की है। दक्षिण-पूर्व एशिया एकमात्र ऐसा डब्ल्यूएचओ का क्षेत्र है जिसने मलेरिया के मामलों और मौतों को कम करने के लिए प्रयासों में विशेषज्ञ सफलता पाई है। 

मालदीव और श्रीलंका मलेरिया मुक्त हो गए हैं, ये हमारे लिए गर्व की बात है। इसके अलावा नौ एंडेमिक देशों में से चार- भूटान, भारत, नेपाल और तिमोर-लेस्ते ने 2015 से मलेरिया की घटनाओं में 63% से अधिक की कमी हासिल की है। तिमोर-लेस्ते और भूटान भी मलेरिया उन्मूलन के निकट हैं।

इन देशों ने मलेरिया पर पा ली है जीत

ये रिकॉर्ड्स दक्षिण-पूर्व एशिया के हैं। इसके इतर 22 अक्टूबर, 2024 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कुल 44 देशों और एक टेरिटरी को मलेरिया मुक्त प्रमाणित किया गया है। इसमें हाल ही में शामिल हुए अजरबैजान, ताजिकिस्तान और मिस्र जैसे देश शामिल हुए हैं।

वहीं दूसरी ओर देखें तो पता चलता है कि मलेरिया के मामले अफ्रीकी क्षेत्र में सबसे ज्यादा देखे जाते हैं। साल 2023 में, वैश्विक मलेरिया के 94% मामले और 95% मौतें इसी क्षेत्र में रिपोर्ट की गईं। अफ्रीका में, उप-सहारा अफ्रीका वाले क्षेत्र में इसका बोझ सबसे ज्यादा है।

‘मलेरिया एंड्स विद अस’ अभियान की शुरुआत

वैश्विक स्तर पर मलेरिया के खात्मे के लिए डब्ल्यूएचओ ने निवेश और राजनीतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर बल दिया है। डब्ल्यूएचओ ने ‘मलेरिया एंड्स विद अस: इन्वेस्ट, रीइमेजिन और रिइग्नाइट’ नाम से अभियान की शुरुआत की है जिससे  मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रगति में तेजी लाई जा सके।

वाजेद ने इस बात पर भी जोर दिया कि मलेरिया के खिलाफ लड़ाई केवल सरकारों और स्वास्थ्य एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, यह एक साझा मिशन है जिसके लिए प्रत्येक व्यक्ति, समुदाय और साझेदार की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

मलेरिया और इसके कारण होने वाली समस्याएं

मलेरिया से पीड़ित लोगों में आमतौर पर तेज बुखार और ठंड लगने की दिक्कत देखी जाती है। इसके साथ कुछ लोगों को मतली और उल्टी, पेट में दर्द, मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द की दिक्कत हो सकती है। मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर काटने के कुछ हफ़्तों के भीतर शुरू होते हैं। अगर किसी को चार-पांच दिनों से तेज बुखार की समस्या हो रही है तो उसे डॉक्टर की सलाह पर जांच जरूर करा लेनी चाहिए। समय पर इन बीमारियों का निदान और इलाज न होने पर रोग के लक्षणों के गंभीर रूप लेने का खतरा रहता है।

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