इस वॉकिंग में शरीर को सीधा रखते हुए, पैरों की गति और हाथों के स्विंग को संतुलित किया जाता है। इसे करते समय व्यक्ति अपनी सांसों पर ध्यान देता है, शरीर का तनाव छोड़ता है और हर कदम सोच-समझ कर रखता है।
आजकल सोशल मीडिया जापानी वॉकिंग तकनीक काफी ट्रेंड में है। यह एक साधारण लेकिन प्रभावशाली चलने की विधि है, जो न सिर्फ वजन घटाने में मदद करती है बल्कि शरीर की पोस्चर, सांसों और मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाती है। जापानी वॉकिंग तकनीक आधुनिक जीवनशैली में एक सरल लेकिन प्रभावी स्वास्थ्य आदत बन सकती है। इसमें न तो जिम की जरूरत है और ना ही किसी भारी उपकरण की, बस सही ढंग से चलना जरूरी है।
क्या है जापानी वाॅकिंग तकनीक?
यह एक विशेष तकनीक है जिसमें चलते समय कुछ खास नियमों और शारीरिक मुद्रा (posture) का पालन किया जाता है। जापान में इसे “Aruki Kata” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “सही ढंग से चलना”। इस वॉकिंग में शरीर को सीधा रखते हुए, पैरों की गति और हाथों के स्विंग को संतुलित किया जाता है। इसे करते समय व्यक्ति अपनी सांसों पर ध्यान देता है, शरीर का तनाव छोड़ता है और हर कदम सोच-समझ कर रखता है।
जापानी वॉकिंग तकनीक के फायदे
- चलने की इस तकनीक से वजन घटाने में मदद मिलती है। इसके नियमित अभ्यास से कैलोरी तेजी से बर्न होती है।
- सही तरीके से चलन से पोस्चर सुधरता है। रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और पीठ दर्द की समस्या कम होती है।
- मानसिक शांति के लिए भी जापानी वॉकिंग तकनीक असरदार है। इस तकनीक से चलने के दौरान सांसों और हरकतों पर ध्यान केंद्रित करने से तनाव कम होता है।
- इसके अभ्यास से पाचन तंत्र में सुधार होता है। खासतौर पर खाना खाने के बाद थोड़ी देर इस तकनीक से चलना बेहद लाभदायक होता है।
- जोड़ों की सेहत के लिए भी यह फायदेमंद है। इसके अभ्यास से घुटनों और टखनों पर कम दबाव पड़ता है।
- फेफड़े और दिल मजबूत होते हैं। साथ ही यह एक तरह की कार्डियो एक्टिविटी है।
- एक्यूप्रेशर प्रभाव पड़ता है। पैरों के नीचे के हिस्से के ज़रिए शरीर के अलग-अलग अंगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कैसे करें जापानी वॉकिंग तकनीक का अभ्यास?
- जापाना वाॅकिंग तकनीक का अभ्यास करने के लिए शरीर सीधा रखें। सिर ऊंचा, कंधे पीछे और छाती बाहर। इस दौरान छोटे लेकिन संतुलित कदम उठाएं। पैर जमीन पर एड़ी से रखें और पंजे से उठाएं।
- हाथों को स्विंग करें और हाथों को प्राकृतिक गति में आगे-पीछे झुलाएं। पेट के निचले हिस्से को हल्का भीतर की ओर खींचें। इससे कोर मसल्स एक्टिव रहते हैं।
- धीरे-धीरे गति बढ़ाएं। पहले पांच मिनट धीमा, फिर 15-20 मिनट तेज़ गति और अंत में फिर पांच मिनट धीमा चलें।
- इस दौरान सांसों पर ध्यान दें। लंबी और गहरी सांसें लें।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।