झारखण्ड : हाय रे धनबाद! आंखों में पानी लेकर कब तक बिजली -पानी के लिए चिरौरी करेगा? हाय रे धनबाद ,क्या लिखा है तेरी किस्मत में. आँचल में दूध और आँखों में पानी लेकर धनबाद कब तक बिजली -पानी के लिए चिरौरी करता रहेगा.
हाय रे धनबाद ,क्या लिखा है तेरी किस्मत में. आँचल में दूध और आँखों में पानी लेकर धनबाद कब तक बिजली -पानी के लिए चिरौरी करता रहेगा. यह सवाल अब लोग खुद से पूछ रहे है.
झारखंड के लोग प्रदेश में भाजपा की सरकार को भी देख लिया है ,झामुमो की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार को भी देख रहे है. हाय बिजली, हाय बिजली -हाय गर्मी ,हाय गर्मी, हाय पानी ,हाय पानी रटते -रटते धनबाद के दिन और रात कट रहे है.
जरा अंदाजा करिये घर के बाहर तेज धूप हो और घर के भीतर बिजली कटी हो, वह भी आधे घंटे से नहीं बल्कि कई घंटे से. इस हालत में घर का इनवर्टर फेल कर गया
हो और घर में छोटे-छोटे बच्चे हो, तो फिर उस परिवार की क्या हालत हो रही होगी , इसका सिर्फ अंदाज ही लगाया जा सकता है. यह कोयले की राजधानी है ,यहां का कोयला दूसरे प्रदेशों को रौशन करता है. लेकिन खुद गर्मी झेलता है.
इसकी आवाज़ नक्करखाने में तूती की आवाज़ साबित होती है. फिलहाल धनबाद में जबरदस्त बिजली संकट है. गर्मी तो जान ले ही रही है.
धनबाद में 43 से 44 डिग्री तापमान चढ़ा हुआ है
धनबाद में 43 से 44 डिग्री तापमान चढ़ा हुआ है तो अगल-बगल जिलों का हाल भी लगभग यही है. ऐसी स्थिति में लोग क्या करें,उनकी समझ में नहीं आ रहा है.
किसके पास जाकर अपना दुखड़ा रोये. कौन उन्हें मदद कर सकता है. इस हालत में लोगों का धैर्य टूट जा रहा है. कहीं सब स्टेशन का घेराव हो रहा है तो कहीं ऑपरेटर को लोग बंधक बना ले रहे है. अधिकारी तो फ़ोन उठाते ही नहीं है.
महीनों पहले दावा किया गया था कि बिजली कटौती में डीवीसी की मनमानी बर्दाश्त करने से झारखंड के तीन जिलों को छुटकारा मिल जाएगा. . इन जिलों में
धनबाद, बोकारो और रामगढ़ शामिल थे. इस प्रयास से झारखंड के धनबाद सहित तीन जिलों को बड़ी राहत देने की बात कही गई थी.
चंदनकियारी – गोविंदपुर ट्रांसमिशन लाइन के बन जाने के बाद इसे गोविंदपुर ग्रिड से जोड़कर बिजली प्रवाह शुरू कर देने का दावा किया गया था . कहा गया था कि अब सीधे नेशनल ग्रिड से इस ट्रांसमिशन लाइन को बिजली मिलेगी .
लोग पूछ रहे नेशनल ग्रिड का क्या हुआ नेशनल ग्रिड से ट्रांसमिशन लाइन होते हुए बिजली पहुंचाने पर यह सस्ती भी हो सकती है. बताया गया था कि कुल 275 टावर बनाए गए है. 5. 5 किलोमीटर लाइन और 24 टावर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में है.
यह लाइन बोकारो के दुबेकाटा मोड, बरमसिया, मोडीडीह, मुक्तापुर ,चांदीपुर कुसुमकियारी , पालकीरी और पुरुलिया जिले के प्रेमसिंहडीह, इचार और धनबाद के सिंदरी, छाताटांड़, जियलगोड़ा , तेतुलियाटांड़, सह जोड़ी के पास से गुजरी है.
डीवीसी पर निर्भरता को खत्म करने के लिए यह सब प्रयास शुरू किए गए है. फिलहाल धनबाद बोकारो और रामगढ़ जिले की निर्भरता डीवीसी पर खत्म हो गई है. योजना के मुताबिक डीवीसी कमांड एरिया में जल्द ही तीन और ग्रिड सब स्टेशन बनाने की योजना है.
इसके बाद झारखंड की डीवीसी पर निर्भरता खत्म हो जाएगी.अब लोग पूछ रहे है कि इस दावे का क्या हुआ.
वैसे भी कोयलांचल में केवल बिजली ही नहीं बल्कि पानी भी बड़ी समस्या है. कोलियरी क्षेत्र के लोग बूंद- बूंद पानी को तरसते है. सुबह उठते हैं तो पहले बच्चों को स्कूल भेजने , भोजन तैयार करने से पहले पानी का इंतजाम करते है.
कोलियरी क्षेत्र में लगातार कई दिनों तक जलापूर्ति नहीं होती है. दूसरे स्रोत नहीं होने के कारण भी लोग परेशानी झेलते है.