मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता चौरसिया का कहना है, महिलाओं के गर्भवती बनने की उचित उम्र 30 वर्ष से कम होनी चाहिए। मगर वर्तमान में 37 से 38 उम्र तक में शादी होती है, जिसकी वजह से प्रसव जटिल हो जाता है।

अधिक उम्र में शादी होना महिलाओं में प्रसव की समस्या को जटिल बना रहा है। जिसकी वजह से अधिकांश प्रसव सिजेरियन पद्धति से हो रहे हैं।

सिर्फ अप्रैल 2024 से अक्तूबर तक की बात करें तो जिला महिला चिकित्सालय (डफरिन) में 62.6, स्वरूप रानी अस्पताल (एसआरएन) में 71.6 व कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल में 89 फीसदी प्रसव सर्जरी के माध्यम से हुआ है।

जबकि विश्व हेल्थ स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 5 से 15 फीसदी ही सिजेरियन प्रसव होना चाहिए। मगर निरंतर सामान्य प्रसव की संख्या में कमी आई है।

मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. अमृता चौरसिया का कहना है, महिलाओं के गर्भवती बनने की उचित उम्र 30 वर्ष से कम होनी चाहिए।

मगर वर्तमान में 37 से 38 उम्र तक में शादी होती है, जिसकी वजह से प्रसव जटिल हो जाता है। इसे अलावा शारीरिक श्रम न करने की वजह ब्लड प्रेशर व शुगर की समस्या के कारण भी सिजेरियन प्रसव होता है।

वहीं कई महिलाएं प्रसव के समय की पीड़ा से बचने के लिए सर्जरी से प्रसव कराने पर जोर देती हैं। ऐसे ही कुछ मामले नजीर के तौर पर हैं।