आपने कभी न कभी अपने पैरों में, हाथों की कलाइयों पर या फिर गर्दन पर नीली नसों के उभार देखे होंगे। जानकार कहते हैं कि यह वैरिकोज वेन्स है, जिसमें कुछ योगासन राहत पहुंचा सकते हैं।

निदेशक, शारीरिक शिक्षा
कालिंदी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय

आजकल की जीवनशैली के कारण शारीरिक शक्ति कमजोर पड़ रही है। कंप्यूटर, स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कारण शारीरिक गतिविधियां लगातार कम होती जा रही हैं। वहीं असंतुलित आहार, जंक फूड का सेवन, तनाव, नींद की कमी और दिनचर्या में व्यायाम के शामिल न होने के कारण शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। ये सभी कारण मांसपेशियों को कमजोर करते हैं, जिस वजह से हड्डियों का घनत्व कम होता है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है- वैरिकोज वेन्स।

पहले कारणों को जानें

वैरिकोज वेन्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर की नसें फैल जाती हैं और उनमें रक्त का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता है। इसके परिणामस्वरूप नसें गहरी और मोटी हो जाती हैं। इसमें नसें बाहर की ओर उभरी हुई, सर्पिल के आकार में नीले या बैंगनी रंग में स्पष्ट रूप से नजर आती हैं। यह समस्या मुख्य रूप से पैरों में होती है, लेकिन कभी-कभी शरीर के अन्य हिस्सों में भी देखी जा सकती है।

वैरिकोज वेन्स के सामान्य कारणों में उम्र, मोटापा और लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने की आदतें होती हैं। यह समस्या बढ़ती उम्र में अधिक देखी जाती है, क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, नसों के वाल्व कमजोर हो जाते हैं और रक्त प्रवाह में रुकावट आने लगती है, जिससे नसें फैलने लगती हैं।

गर्भावस्था के दौरान भी अक्सर महिलाओं में यह समस्या देखी जाती है। उस समय शरीर में हार्मोनल बदलाव और बढ़ता गर्भाशय नसों पर दबाव डालते हैं, जिससे वैरिकोज वेन्स का खतरा बढ़ जाता है।

दिखते हैं कई लक्षण

वैरिकोज वेन्स के हर व्यक्ति में भिन्न-भिन्न लक्षण हो सकते हैं, लेकिन सामान्य तौर पर इसके प्रमुख लक्षणों में पैरों में दर्द, जलन, खुजली और नसों के आस-पास सूजन शामिल होती है। वैरिकोज वेन्स की स्थिति में प्रभावित नसों में रक्त प्रवाह के रुकने के कारण पैरों में भारीपन महसूस हो सकता है। वहीं रात में सोते समय मांसपेशियों में ऐंठन या खिंचाव हो सकता है। इसके अलावा अधिक गंभीर मामलों में प्रभावित क्षेत्र की त्वचा पर रंग बदलने या घाव जैसे निशान भी हो सकते हैं, जो अल्सर का कारण भी बन सकते हैं।

जीवनशैली में बदलाव

वैरिकोज वेन्स की स्थिति में सुधार लाने के लिए  सबसे पहले जीवन-शैली में बदलाव लाने होंगे। इसमें पहला है- खान-पान में बदलाव करना। इसलिए जितना हो सके, आहार में फाइबर, विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स को शामिल करें। ये रक्त संचार को बेहतर कर नसों को मजबूती प्रदान करते हैं। वहीं इस स्थिति से उबरने का सबसे आसान तरीका है- नियमित रूप से हल्का व्यायाम। व्यायाम नसों में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और पैरों में सूजन तथा दर्द को कम करता है। यह कमजोर पड़ रही मांसपेशियों को मजबूती देता है और रक्त को हृदय की ओर वापस भेजने में मदद करता है।

फुल बॉडी स्ट्रेच

वैरिकोज वेन्स की समस्या से निजात पाने के लिए योग के अंतर्गत सर्वप्रथम सूक्ष्म यौगिक क्रियाएं आती हैं, जिनमें फुल बॉडी स्ट्रेचिंग यानी पूरी बॉडी को तनाव देना शामिल है। इसके लिए आप हाथों को ऊपर की ओर उठाकर दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर स्ट्रेट करें और एंकल जॉइंट को ऊपर उठाते हुए शरीर को खिंचाव दें। अगर किसी वजह से एंकल जॉइंट नहीं उठा पाएं तो साधारण खड़ी रहकर हाथों को ऊपर की ओर स्ट्रेट करें।

पिंडली शक्ति विकासक

इस क्रिया के लिए आपको किसी ऐसी जगह पर खड़े होना है, जहां से आप किसी चीज का सहारा ले सकें, ताकि संतुलन बना रहे। आप धीरे-धीरे किसी एक पैर को घुटनों से पीछे की ओर ले जाएं। आपको पैर हिप्स की तरफ लेकर जाना है और फिर धीरे से वापस अपनी जगह ले आना है। इस प्रक्रिया को आप तीन से पांच बार दोहराएं। इसी आसन के दूसरे हिस्से को करने के लिए अपने पैरों को पहले पीछे की तरफ लेकर जाएं और सामने तेजी से थोड़ा झटके के साथ वापस लाएं। अगर आपको जॉइंट्स या एंकल जॉइंट में दर्द है तो इसे सामान्य रूप से बिना झटके के भी वापस ला सकती हैं।

स्ट्रेचिंग और मूवमेंट्स

इसके लिए आप शांति से बैठकर अपने दोनों पैरों को आगे फैला लें। अब दोनों पंजों को नीचे की ओर झुकाएं और कम से कम पांच तक गिनती गिनते हुए रोकें, फिर ऊपर की तरफ तनाव दें। इस क्रिया को पांच से सात बार दोहराएं। इसके दूसरे हिस्से के लिए दोनों पैरों के पंजों को बड़ा-सा सर्कल बनाते हुए घूमाएं। आप इसे क्लॉकवाइज और एंटीक्लाकवाइज दोनों तरीकों से दोहराएं। इससे ब्लड सर्कुलेशन तेज होगा, नसों में ताकत आएगी और वे खुलेंगी।

सबसे बेहतरीन गरुड़ासन

वैरिकोज वेन्स से निजात पाने के लिए आसन की बात करें तो सबसे पहले आता है गरुड़ासन। इसके अंतर्गत सामान्य स्थिति में खड़े होकर एक पैर को दूसरे पैर के ऊपर लपेटना है और घुटनों को थोड़ा-सा बंद करना है। दोनों हाथों को भी पैरों की तरह एक-दूसरे के ऊपर लपेट लेना है। इसे ही कहते हैं गरुड़ासन। यह वेरीकोज वेन्स से निजात पाने के लिए सबसे बेहतरीन आसन है। अगर पैर एक-दूसरे के ऊपर न लिपट पाएं तो साइड पर थोड़ा-सा, जितना संभव हो, उतना पीछे की ओर ले जाएं। इस क्रिया को भी तीन से पांच बार दोहराएं। ध्यान रखें, इस आसन में संतुलन का विशेष महत्व होता है, इसलिए इसे किसी ऐसी जगह पर करें, जहां आप दीवार या किसी चीज का सहारा ले सकें।

वज्रासन और अर्ध सर्वांगासन

बैठकर करने वाले आसनों में सबसे बेहतरीन है वज्रासन। यह आसन आपके घुटनों और पैरों समेत पाचन को मजबूत करता है। इसके लिए आप दोनों घुटनों को मोड़कर एड़ियों के ऊपर बैठ जाएं। इससे आपकी मांसपेशियों पर जोर पड़ेगा। अब अगला आसन है अर्ध सर्वांगासन। इसके अंतर्गत पीठ के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को 90 डिग्री के एंगल तक ऊपर उठाएं या जितना संभव हो, उतना उठाकर सात तक गिनती गिनें और होल्ड करें। अब वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं। इसका अभ्यास कम से कम तीन बार जरूर करें।

प्राणायाम भी जरूरी

वैरिकोज वेन्स की स्थिति से निपटने के लिए जिनने योगासन लाभकारी हैं, उतने ही लाभकारी हैं प्राणायाम। प्राणायाम के अंतर्गत आप सामान्य प्राणायाम यानी अनुलोम-विलोम कर सकती हैं। भस्त्रिका और कपालभाति भी किया जा सकता है। ये क्रियाएँ रक्त प्रवाह को तेज करती हैं। ध्यान दें, वैरिकोज वेन्स की स्थिति को देखते हुए आप अपने चिकित्सक या किसी योग शिक्षक की निगरानी में भी योग क्रियाएं करें।

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