वित्त वर्ष 2025 में पैसेंजर वाहनों की मांग केवल 1.5% बढ़ेगी, वहीं ग्रामीण इलाकों में बचत बढ़ने से ट्रैक्टरों की मांग में 7% की वृद्धि दर्ज की जा सकती है। 

वित्त वर्ष 2025 में भारत का कार मार्केट 1.5% की मामूली ग्रोथ रेट से आगे बढ़ागा। पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री के इतने कम ग्रोथ रेट के पीछे सुस्त मांग को कारण बताया गया है। जापान की फाइनेंशियल सर्विस एजेंसी ‘नोमूरा’ (Nomura) ने  भारतीय पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री पर पेश की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इन आंकड़ों का खुलासा किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, दो-पहिया वाहनों की घरेलू मांग कम हुई है, लेकिन एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी से इनकी मांग पैसेंजर वाहनों से बेहतर रहने की उम्मीद है। दूसरी ओर ग्रामीण इलाकों में बचत बढ़ने से ट्रैक्टरों की मांग साल-दर-साल के हिसाब से 7% की दर से बढ़ने के कयास लगाए गए हैं। 

दिसंबर में मजबूत खुदरा बिक्री और कम इन्वेंट्री स्तरों के बाद चैनल भरने के कारण वर्ष की शुरुआत में यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि देखी गई। हालांकि, आने वाले महीनों में छूट बढ़ने की उम्मीद है। प्रमुख निर्माताओं में, महिंद्रा एंड महिंद्रा के एसयूवी और एलसीवी के साथ-साथ टीवीएस मोटर के स्कूटर ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि टाटा मोटर्स (टीटीएमटी) के यात्री वाहनों ने अनुमानों की तुलना में प्रदर्शन कम रहा।

सरकार ग्रामीण इलाकों में विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी के माध्यम से किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इनमें कृषि गतिविधियों का समर्थन करने वाली, किसानों की लागत कम करने वाली और उनकी आय में सुधार करने वाली योजनाएं शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त, सरकार से ग्रामीण विकास और कृषि पर खर्च बढ़ाने की उम्मीद है। यह अतिरिक्त वित्तीय सहायता अधिक किसानों को ट्रैक्टर खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय बजट में घोषित व्यक्तिगत आयकर में बदलाव ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए सकारात्मक हैं, लेकिन समग्र प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है।

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