धनबाद/झारखण्ड : जिले में सालों से बालू घाटों पर माफियाओं का कब्जा है। इस साल भी माफियाओं की ही चलेगी। कारण 2024 में भी बालू घाटों की नीलामी के आसार नहीं हैं। विभागीय सूत्रों से मिले संकेत के अनुसार बालू घाटों की नीलामी नहीं होने के पीछे कई कारण हैं।
यानी जब तक घाटों की नीलामी नहीं होगी। लोगों को रियायती दर पर बालू उपलब्ध नहीं हो पाएगा।
मालूम हो कि घाटों की नीलामी नहीं होने से तस्कर बालू का उठाव कर रहे हैं और ऊंची कीमत पर बेच रहे हैं। जिले में बालू तस्करों का सिंडिकेट मजबूत है। शासन-प्रशासन तक इनकी पहुंच है। आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन धंधे से जुड़े लोग बताते हैं कि हर दिन धनबाद में ढाई से तीन सौ बालू लदे वाहन पहुंचते हैं। इसके अलावा धनबाद के पड़ोस के जिलों में भी अवैध तरीके से बालू की आपूर्ति की जाती है। कैटेगरी टू के सभी घाटों (जिनकी संख्या 16 से अधिक है) में बालू का अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है।
बराकर नदी की कम-से-कम आठ से दस जगहों पर बालू का उठाव हो रहा है। कुछ जगह तो नदी के बीच से नाव से बालू का उठाव किया जा रहा है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आईवॉश है। कुछ गाड़ियां पकड़ी जाती हैं, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों तक बालू तस्करों का लिंक है, बेखौफ बालू का उठाव धड़ल्ले से किया जा रहा है।
नीलामी का मामला लंबित
चार जून तक लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया पूर्ण होगी। चार जून तक आचार संहिता प्रभावी होने से बालू घाटों की नीलामी संभव नहीं है। धनबाद के बड़े बालू घाट यानी कैटेगरी टू के घाट की नीलामी का मामला अभी जिला स्तर पर ही लंबित है।
मध्य जून से एनजीटी प्रतिबंध
लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न होने के साथ मध्य जून यानी 10 से 15 जून से बालू उठाव पर एनजीटी का प्रतिबंध लग जाएगा। मॉनसून सीजन में नदियों में जल प्रवाह तेज होने के कारण एनजीटी की ओर से नदियों की सुरक्षा व पर्यावरण संरक्षण के कारण से प्रतिबंध लगाया जाता है।
रात में आपूर्ति, मनमानी कीमत वसूली
तस्कर बालू की मनमानी कीमत वसूले रहे हैं। बालू की गुणवत्ता व वाहन के आधार पर कीमत में अंतर होता है। वैसे मौजूदा समय में एक ट्रैक्टर बालू की कीमत पांच हजार से अधिक लिए जा रहे हैं। वहीं 407 मिनी ट्रक बालू के लिए 6500 रुपए तक देने पड़ रहे हैं। लगभग डेढ़ से दो हजार तक ज्यादा कीमत वसूली जा रही है। बहुमंजिली इमारत या ज्यादा बालू की दरकार वालों को तस्कर हाइवा से भी आपूर्ति कर रहे हैं। बालू के धंघे से जुड़े एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वह बेजरा बालू घाट से उठाव करता है। वैसे जिले के सभी बालू घाटों से उठाव हो रहा है। स्थानीय लोग बालू का उठाव करते हैं। उन्हें मजदूरी के रूप में वाहन के अनुसार हजार से दो हजार में बालू उपलब्ध कराते हैं। बाकी खर्च ट्रांसपोर्टिंग से लेकर थाना-पुलिस सब अलग से मैनेज करना होता है। शर्त यही है कि रात में ही बालू गिराना पड़ता है। सुबह पांच बजे के बाद बालू की ढुलाई नहीं करनी है।
फिर फंसेगा मामला
अक्तूबर तक एनजीटी प्रतिबंध के कारण बालू घाट फंसे रहेंगे। इसके बाद राज्य विस चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। साल के अंत तक विस चुनाव होना है, इसलिए धनबाद में बालू घाटों की नीलामी 2024 में होने के आसार नहीं हैं। दिसंबर में झारखंड विस का मौजूदा कार्यकाल पूरा हो रहा है।