धनबाद/झारखण्ड : धनबाद में ‘सरयू’ पार करने पर ही खिलेगा ‘कमल’!, BJP के ढुलू महतो के सामने राय साहब की निर्दलीय चुनौती सरयू राय ने धनबाद से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है।
वे भाजपा उम्मीदवार ढुलू महतो को शिकस्त की मंशा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्हें इसमें कितनी कामयाबी मिलेगी, यह वक्त बताएगा। भाजपा के ही रघुवर दास को उन्होंने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ कर शिकस्त दी थी।
हाइलाइट्स सरयू राय ने कर दिया धनबाद से चुनाव लड़ने का ऐलान बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ फिर मैदान में उतरेंगे सरयू राय रघुवर दास को असेंबली चुनाव में हरा चुके हैं सरयू राय सरयू राय के मैदान में उतरने से रोमांचक संघर्ष संभव
अब यह बात साफ हो गई है कि झारखंड के निर्दलीय विधायक सरयू राय धनबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। यह भी तय है कि वे निर्दलीय उम्मीदवार ही बनेंगे।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें पहले ही समर्थन का आश्वासन दे दिया है। हालांकि सीट बंटवारे में धनबाद कांग्रेस के कोटे में गई है। कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। सरयू राय ने मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है।
कौन हैं विधायक सरयू राय के बारे में सरयू राय की पहली पहचान यह है कि पूर्व सीएम मधु कोड़ा के काले कारनामों का उन्होंने भंडाफोड़ किया था। कोड़ा को भ्रष्टाचार के मामले में जेल भी जाना पड़ा।
उनके पास नेताओं के काले कारनामों का पुलिंदा हमेशा पड़ा रहता है। मूल रूप से बिहार के बक्सर के रहने वाले सरयू राय की झारखंड में राजनीति वर्ष 2000 में उसके अस्तित्व में आने के साथ ही शुरू हुई। सरयू राय पर पत्रकार आनंद कुमार ने किताब ‘एक नाम कई आयाम’ भी लिखी है।
पुस्तक के परिचय में बताया गया है कि सरयू राय सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार के अलावा नैतिक मूल्यों की राजनीति करनेवाले गंभीर व्यक्ति हैं। सरयू राय ने भी झारखंड में लौह अयस्क के अवैध उत्खनन पर एक चर्चित किताब लिखी है- रहबर की राहजनी। किताब में पिछली सरकार के भ्रष्टाचार का ब्यौरा है।
बिहार के बजाय झारखंड बनी कर्मभूमि सरयू राय के जीवन का काफी समय बिहार में ही बीता। वर्ष 2000 में बिहार राज्य के पुनगर्ठन के बाद उन्होंने नवगठित राज्य झारखंड को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के रूप में चुना। आर्थिक और सामाजिक विषयों के विशेषज्ञ के रूप में सरयू राय की गिनती होती है।
वर्ष 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में गठित झारखंड मंत्रिपरिषद में वे संसदीय कार्य, खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के विभाग के मंत्री रहे। हालांकि कुछ मुद्दों पर रघुवर दास से उनके मतभेद सार्वजनिक होने लगे थे। उन्होंने मंत्री पद छोड़ने का फैसला भी किया, पर पार्टी के कुछ नेताओं के समझाने पर मन बदल लिया।
भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ खोला मोर्चा सरयू राय की धनबाद लोकसभा क्षेत्र में अर्से से आवाजाही रही है। जमशेदपुर से विधायक रहने के बावजूद उन्होंने धनबाद की राजनीति पर कड़ी नजर रखी। उस इलाके में उनके संपर्कों का दायरा बड़ा है तो शुभचिंतकों की संख्या भी खासा है।
भाजपा ने जब तीन बार के विधायक ढुलू महतो को लोकसभा प्रत्याशी बनाने की घोषणा की तो सरयू राय को ढुलू के विरोधियों ने धनबाद से चुनाव लड़ने का आग्रह किया। वहां के एक बड़े व्यवसायी और मारवाड़ी समाज के प्रमुख व्यक्ति कृष्णा अग्रवाल के घर पहुंच कर अपने शुभचिंतकों से विचार विमर्श किया। उसी दिन ढुलू महतो के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोलने की शुरुआत कर दी।
उन्होंने ढुलू को लपेटे में लेने के क्रम में कोयला नगरी के कुख्यात गैंगस्टर प्रिंस खान के तार भी उनसे जोड़ दिए। इसे लेकर प्रिंस खान ने ऑडियो क्लिप भेज कर उन्हें धमकी भी दी। ढुलू के खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक मामलों का जिक्र भी सरयू राय ने किया।
उन्होंने यह भी कहा कि ढुलू को अलग-अलग मामलों में जो सजाएं हुई हैं, उसे जोड़ दिया जाए तो उनकी उम्मीदवारी रद्द हो सकती है। अब ढुलू ने उन्हें लीगल नोटिस भेजा है।
सरयू को विपक्ष के समर्थन की उम्मीद सरयू राय ने धनबाद से लोकसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्हें विश्वास है कि विपक्षी पार्टियों का सहयोग भी उन्हें मिलेगा।
ढुलू महतो के विरोधी भी उस इलाके में कम नहीं हैं। सरयू राय वहां से चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जीत की संभावना कितनी रहेगी, यह तो वक्त बताएगा। पर, भाजपा के वोटों में बिखराव होना तो तय है। अगर जेएमएम की तरह कांग्रेस ने भी उन्हें समर्थन देते हुए अपना कोई कैंडिडेट नहीं दिया तो मुकाबला कांटे का हो जाएगा।