हाल के वर्षों में बच्चों में हृदय रोग, सांस की बीमारी सहित टाइप-1 डायबिटीज के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए गए हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि दुनियाभर में बच्चों की दृष्टि धीरे-धीरे कम होती जा रही है। हर तीन में से एक बच्चें में मायोपिया का निदान किया जा रहा है।

पिछले एक दशक में दुनियाभर में कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं, सभी उम्र के लोगों पर इसका असर देखा गया है। बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं।

हाल के वर्षों में बच्चों में हृदय रोग, सांस की बीमारी सहित टाइप-1 डायबिटीज के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। वहीं एक अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों में बढ़ती आंखों से संबंधित बीमारियों को लेकर सवाधान किया है।

ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थाल्मोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है, दुनियाभर में बच्चों की दृष्टि धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है।

हर तीन में से एक बच्चे में मायोपिया का निदान किया जा रहा है, जिसमें दूर की चीजें स्पष्ट रूप से नजर नहीं आती हैं। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट करते हुए कहा है कि इस समस्या के बढ़ने की दर अगर ऐसे ही जारी रहती है और रोकथाम के उपाय न किए गए तो अगले 25 साल में ये समस्या दुनियाभर में लाखों बच्चों को प्रभावित कर सकता है। साल 2050 तक 40 फीसदी बच्चे आंखों की इस समस्या के शिकार हो सकते हैं।