सर्दियों के मौसम के साथ दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है.अधिकांश इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार यानी ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच चुका है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ रहा है.

ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ताजा अलर्ट के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)ने आपात बैठक बुलाकर दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप के दूसरे फेज को लागू करने का फैसला लिया है.

यह प्रदूषण न सिर्फ सांस और त्वचा की समस्याएं पैदा कर रहा है, बल्कि आंखों के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है. हवा में मौजूद हानिकारक कण, धूल और धुआं आंखों में कई ऐसी समस्‍याएं पैदा कर रहे हैं जो आंखों के रेटिना से लेकर उसकी रोशनी तक को प्रभावित कर रहे हैं.

पहला असर सांसों पर
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. पी.एन अरोड़ा का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का सबसे पहला असर हमारी सांसों पर पड़ता है.

हानिकारक कण श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ाते हैं. इसलिए, बाहर निकलते समय हमेशा एन95 मास्क का उपयोग करें और गुनगुने पानी में हल्दी और शहद मिलाकर पीएं ताकि श्वसन तंत्र को साफ रखा जा सके.